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उत्तरकाशी की गंगा घाटी में स्थित है पांच प्रयाग -साध्वी परमानंदा जिद्दी कलम उत्तरकाशी

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भारत देश ऋषि,मुनियों की तपोस्थली है और उत्तराखंड मे देवी देवताओं का वास है तथा उत्तराखंड के जनपद उत्तरकाशी आशुतोष की नगरी की विश्व पहचान मौक्ष दायनी माँ गंगा के रूप मे होती है और इसी मोक्ष दायनी माँ गंगा के तट पर देश विदेश से कई योगी,साधक तपस्या मे लीन है तो कई साधक माँ गंगा की सेवा मे समर्पित है।
उत्तरकाशी नेताला मे साध्वी परमानंदा (अम्मा जी ) ने पत्रकार वार्ता बुलाकर मां गंगा प्रति अपना चिंतन व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तरकाशी गंगा के उदगम स्थल मे ही मां गंगा को संरक्षण की आवश्यकता है क्यंकि आज गंगा जी के उदगम स्थल मे ही उसका महत्व को नही समझा जा रहा है
गंगा के उदगम स्थान होने के कारण पंच प्रयाग भी उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री के बीच मे ही स्थित है l जिनका उल्लेख वेदों और पुराणों में वर्णित होने के बावजूद भी आज तक इनमे से कुछ स्थान आज भी ऐसे है जिनका विकास नहीं हो पाया है। यदि गंगोत्री क्षेत्र के पांच प्रयागों का सही मायने मे विकास हुआ होता तो क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए बाहरी जिलों मे नहीं जाना पड़ता ।
इस क्षेत्र मे लाखो की संख्या मे पर्यटक एवं श्रद्धालु पहुंचते है किंतु पर्यटक व श्रद्धालुओं को स्थानीय पांच प्रयागों के बारे में जानकरी का अभाव होने के कारण लॉग इन स्थानों पर पहुंच पा रहे हैं जिसके लिए क्षेत्र में जन जागरण का होना अति आवश्यक है । जिसको लेकर हम क्षेत्रीय विद्वानों और बुद्धिजीवियों को साथ लेकर गंगा घाटी के आसपास से लगे सभी गांव में जाकर के गंगा संरक्षण को लेकर जन जागरण कार्यक्रम चलाएंगे । इसके अलावा स्थानीय देवी देवताओं के बारे मे व्यापक प्रचार प्रसार क़र इनकी महता से सभी को अवगत कराने का काम करेंगे l गंगा अवतरण के कारण गंगा घाटी मे अनेक स्थानो पर देवी देवताओं ने किसी न किसी रूप मे मां गंगा के स्वागत के लिए अवतरित हुए है और युगो से इन्ही स्थानों मे सतत निवास क़र रहे है जिन्हे स्थानीय देवी देवताओं के रूप मे देखा जा सकता है ।
साध्वी अम्मा जी ने पांच प्रयागो का वर्णन करते हुए कहा कि बडेथी वरुणा नदी से गंगोरी अस्सी गंगा के बीच वाले क्षेत्र आनंद प्रयाग के नाम से जाना जाता है तथा भटवाड़ी मे नवाला और शंख धारा (पापन गाड़) के क्षेत्र को भास्कर प्रयाग के नाम से प्रचलित है तथा ज्योति गंगा और सोन गंगा मिलकर सोनप्रयाग कहलता है और श्याम गंगा और गुप्पती गंगा हर्षिल मे हरि प्रयाग के रूप मे जाना जाता है और मुखवा से गंगोत्री धाम तक रूद्र गंगा और केदार गंगा का गंगा के मुख्य धारा मे बिलय के क्षेत्र को गंगा प्रयाग के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने बताय किआगामी गंगा दशहरा पर्व पर नेताला मे विभिन धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है ।

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Author: ziddikalam

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